चारधाम यात्रा: बद्रीनाथ धाम के कपाट खुले, सीएम पुष्कर सिंह धामी समेत हजारों श्रद्धालुओं ने किए दर्शन

Badrinath Darshan Chardham Yatra

Badrinath Darshan Chardham Yatra

चमोली (उत्तराखंड): Badrinath Darshan Chardham Yatra: बदरीनाथ धाम के कपाट आज प्रातः 6 बजे विधि-विधान से आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं. इसी के साथ, इस वर्ष की बदरीनाथ धाम की यात्रा का विधिवत शुभारम्भ हो गया है. भगवान बदरी-विशाल के मंदिर को करीब 15 क्विंटल फूलों से सजाया गया है. वहीं बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साक्षी बने हजारों भक्तों पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बदरीनाथ के कपाट खुलने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से पहली महाभिषेक पूजा कर देश और राज्य की सुख समृद्धि की कामना की.

भगवान बदरी विशाल के खुले कपाट: भगवान बदरी विशाल जी के मंदिर समेत सिंह द्वार की दिव्यता और भव्यता को देख तीर्थ यात्री अभिभूत हो रहे हैं. शुभ मुहूर्त पर तीर्थ पुरोहितों द्वारा पूर्ण विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना की गई. ढोल-नगाड़ों व आर्मी बैंड की मधुर धुन के बीच, हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने 'जय बदरी विशाल' और 'बदरीनाथ भगवान की जय' के जयकारे लगाए, जिससे पूरा बदरीनाथ धाम परिसर का माहौल भक्तिमय हो गया.

रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया धाम: बदरीनाथ मंदिर को लगभग 15 क्विंटल रंग-बिरंगे फूलों से भव्य रूप से सजाया गया है. जिसने मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगा दिए. प्रातः काल से ही बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल, धर्माधिकारी व वेदपाठियों द्वारा मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की गई. विधि-विधान से माता लक्ष्मी को गर्भगृह से निकालकर मंदिर की परिक्रमा कराकर लक्ष्मी मंदिर में विराजमान किया गया.

कई श्रद्धालु इस पल के बने साक्षी : इसके बाद भगवान कुबेर व उद्धव जी को बदरी विशाल मंदिर के गर्भगृह में विराजित किया गया. शुभ मुहूर्त पर, भगवान की चतुर्भुज मूर्ति को परंपरागत रूप से हटाए गए घृत कंबल से अलग कर उनका विधिवत अभिषेक (स्नान) करवाया गया और आकर्षक श्रृंगार किया गया. अब अगले छह माह तक बैकुंठ धाम में भगवान की चतुर्भुज मूर्ति के साथ-साथ उद्धव, कुबेर, नारद और नर नारायण के दिव्य दर्शन श्रद्धालु प्रतिदिन कर सकेंगे.

देश के कोने-कोने से पहुंचे श्रद्धालु: मुख्य मंदिर के साथ ही बदरीनाथ धाम मंदिर परिक्रमा स्थित गणेश, घंटाकर्ण, आदि केदारेश्वर और आदि गुरु शंकराचार्य मंदिर के कपाट भी इस यात्रा हेतु श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए हैं. इस अवसर पर देश के कोने-कोने से आए हजारों श्रद्धालु कपाट खुलने के साक्षी बने. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह माना जाता है कि वर्ष भर में साल के 6 महीने (ग्रीष्मकालीन) मनुष्य भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, जबकि बाकी के 6 महीने (शीतकालीन) यहां देवता स्वयं भगवान विष्णु की आराधना करते हैं. जिसमें मुख्य पुजारी देवर्षि नारद होते हैं.